तू मुझ को भूलना चाहे तो भूल सकता है By Sher << ग़म-ए-हयात भी आग़ोश-ए-हुस... करम है मुझ पे किसी और के ... >> तू मुझ को भूलना चाहे तो भूल सकता है मैं एक हर्फ़-ए-तमन्ना तिरी किताब में हूँ Share on: