तू मुझे तंग न कर ए दिल-ए-आवारा-मिज़ाज By Sher << कहाँ है शैख़ को सुध-बुध म... शायद वो भूली-बिसरी न हो आ... >> तू मुझे तंग न कर ए दिल-ए-आवारा-मिज़ाज तुझ को इस शहर में लाना ही नहीं चाहिए था Share on: