तू रुके या न रुके फ़ैसला तुझ पर छोड़ा By Sher << कोई शब ढूँडती थी मुझ को औ... सूखे पत्ते सब इकट्ठे हो ग... >> तू रुके या न रुके फ़ैसला तुझ पर छोड़ा दिल ने दर खोल दिए हैं तिरी आसानी को Share on: