तू समझता है कि मैं कुछ भी नहीं तेरे बग़ैर By Sher << जिस्मों से निकल रहे हैं स... मिरे जज़्बे मिरी शहादत है... >> तू समझता है कि मैं कुछ भी नहीं तेरे बग़ैर मैं तिरे प्यार से इंकार भी कर सकता हूँ Share on: