तुझ सा कोई जहान में नाज़ुक-बदन कहाँ By Sher << सूरत तो एक ही थी दो घर हु... किस शान से चला है मिरा शह... >> तुझ सा कोई जहान में नाज़ुक-बदन कहाँ ये पंखुड़ी से होंट ये गुल सा बदन कहाँ Share on: