तुझ से मिल के भी तेरा इंतिज़ार रहता है By Sher << ये हाल मिरा मेरी मोहब्बत ... अगर फूलों की ख़्वाहिश है ... >> तुझ से मिल के भी तेरा इंतिज़ार रहता है सुब्ह रू-ए-ख़ंदाँ से शाम ज़ुल्फ़-ए-बरहम तक Share on: