तुम चाहो तो दो लफ़्ज़ों में तय होते हैं झगड़े By Sher << जहाँ पे छाया सहाब-ए-मस्ती... अगर वो चाँद की बस्ती का र... >> तुम चाहो तो दो लफ़्ज़ों में तय होते हैं झगड़े कुछ शिकवे हैं बेजा मिरे कुछ उज़्र तुम्हारे Share on: