तुम ख़ुद ही दास्तान बदलते हो दफ़अतन By Sher << जीने वाले तिरे बग़ैर ऐ दो... न आया ग़म भी मोहब्बत में ... >> तुम ख़ुद ही दास्तान बदलते हो दफ़अतन हम वर्ना देखते नहीं किरदार से परे Share on: