तुम्हारा क्या तुम्हें आसाँ बहुत रस्ते बदलना है By Sher << मो'जिज़ा हज़रत-ए-ईसा ... वो लहू पी कर बड़े अंदाज़ ... >> तुम्हारा क्या तुम्हें आसाँ बहुत रस्ते बदलना है हमें हर एक मौसम क़ाफ़िले के साथ चलना है Share on: