तुम्हारे बख़्शे हुए आँसुओं के क़तरों से By Sher << काफ़िर हूँ न फूँकूँ जो ति... जुदाई से ज़ियादा जान-लेवा >> तुम्हारे बख़्शे हुए आँसुओं के क़तरों से शब-ए-फ़िराक़ में तारे सजा रहा हूँ मैं Share on: