तुम्हारे हिस्से के जितने भी ग़म हैं मैं ले लूँ By Sher << कल उस की आँख ने क्या ज़िं... रौशनियों के शहर में रह कर >> तुम्हारे हिस्से के जितने भी ग़म हैं मैं ले लूँ मिरे नसीब की हर इक ख़ुशी मिले तुम को Share on: