तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया By Sher << बहुत ही सुस्त था मंज़र लह... मिरी बातों में क्या मालूम... >> तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया कभी फ़लक का कभी ग़ैर का वक़ार किया Share on: