तुम्हारे ख़त कभी पढ़ना कभी तरतीब से रखना By Sher << तू आ गया है तो अब याद भी ... चेहरा चेहरा ग़म है अपने म... >> तुम्हारे ख़त कभी पढ़ना कभी तरतीब से रखना अजब मशग़ूलियत रहती है बेकारी के मौसम में Share on: