तुम्हारे शहर में क्यूँ आज हू का आलम है By Sher << ऐ ख़ुदा दुनिया पे अब क़ब्... मय-ख़ाने की बात न कर वाइज... >> तुम्हारे शहर में क्यूँ आज हू का आलम है सबा इधर से गुज़र कर उधर गई कि नहीं Share on: