तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़ By Sher << तूफ़ाँ उठा रहा है मिरे दि... मर्ग-ए-आशिक़ तो कुछ नहीं ... >> तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़ असर लेकिन निगाह-ए-नाज़ का भी कम नहीं होता Share on: