तुम्हारी बज़्म की यूँ आबरू बढ़ा के चले By Sher << ये बस्ती इस क़दर सुनसान क... मैं उस के बारे में इतना ज... >> तुम्हारी बज़्म की यूँ आबरू बढ़ा के चले पिए बग़ैर ही हम पाँव लड़खड़ा के चले Share on: