तुम्हारी मस्त आँखों का तसव्वुर By Sher << करीम जो मुझे देता है बाँट... कभी ये ग़म था कि समझा नही... >> तुम्हारी मस्त आँखों का तसव्वुर मिरी तौबा से टकराने लगा है Share on: