तुम्हारी शोख़-नज़र इक जगह कभी न रही By Sher << चराग़-ए-हुस्न-ए-यूसुफ़ जब... ज़िंदगी ज़ोर है रवानी का >> तुम्हारी शोख़-नज़र इक जगह कभी न रही न ये थमी न ये ठहरी न ये रुकी न रही Share on: