उदास रुत है अभी तक मिरे तआक़ुब में By Sher << घर से जो शख़्स भी निकले व... हैं दीन के पाबंद न दुनिया... >> उदास रुत है अभी तक मिरे तआक़ुब में ख़िज़ाँ के फूल खिले हैं बहार से बाहर Share on: