उजली उजली ख़्वाहिशों पर नींद की चादर न डाल By Sher << आता है तो आ वादा-फ़रामोश ... मैं बस ये कह रहा हूँ रस्म... >> उजली उजली ख़्वाहिशों पर नींद की चादर न डाल याद के रौज़न से कुछ ताज़ा हवा भी आएगी Share on: