उलझा है मगर ज़ुल्फ़ में तक़रीर का लच्छा By Sher << ज़िंदगानी दर्द-ए-सर है या... रोने वालों ने उठा रक्खा थ... >> उलझा है मगर ज़ुल्फ़ में तक़रीर का लच्छा सुलझी हुई हम ने न सुनी बात तुम्हारी Share on: