उलझी थी जिन में एक ज़माने से ज़िंदगी By Sher << आशियाँ जलने पे बुनियाद नई... हम अजनबी हैं आज भी अपने द... >> उलझी थी जिन में एक ज़माने से ज़िंदगी क्यूँ ऐ ग़म-ए-हयात वो गेसू सँवर गए Share on: