वही दिया कि थीं आजिज़ हवाएँ जिन से 'उमर' By Sher << तुम सुन के क्या करोगे कहा... कितने सनम ख़ुद हम ने तराश... >> वही दिया कि थीं आजिज़ हवाएँ जिन से 'उमर' किसी के फिर न जलाए जला बुझा ऐसा Share on: