उम्मीदों से पर्दा रक्खा ख़ुशियों से महरूम रहीं By Sher << दिल ले गया है मुझ कूँ दे ... एक दिन दोनों ने अपनी हार ... >> उम्मीदों से पर्दा रक्खा ख़ुशियों से महरूम रहीं ख़्वाब मरा तो चालिस दिन तक सोग मनाया आँखों ने Share on: