उम्र-सफ़र जारी है बस ये खेल देखने को By Sher << 'रियाज़' तौबा न ट... मेरी बाँहों में बहकने की ... >> उम्र-सफ़र जारी है बस ये खेल देखने को रूह बदन का बोझ कहाँ तक कब तक ढोती है Share on: