उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का By Sher << तुम्हारे हिज्र में आँखें ... मसर्रत ज़िंदगी का दूसरा न... >> उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का हमीं दिन-रात अगर तड़पे तो फिर इस में मज़ा क्या है Share on: