उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी By Sher << मूसा के सर पे पाँव है अहल... उस वक़्त का हिसाब क्या दू... >> उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाते हैं Share on: