उस शाहिद-ए-निहाँ का कुश्ता हूँ मैं कि जिस ने By Sher << उश्शाक़ का कुछ मैं ने आलम... उस गुल का पता गर नहीं देत... >> उस शाहिद-ए-निहाँ का कुश्ता हूँ मैं कि जिस ने खींची है दरमियाँ में दीवार ज़िंदगी से Share on: