उसे बहिश्त के ज़िंदाँ में भेज देना तुम By Sher << लुत्फ़ ये है कि उसी शख़्स... अपनी इस आदत पे ही इक रोज़... >> उसे बहिश्त के ज़िंदाँ में भेज देना तुम गुनाहगार-ए-मोहब्बत को ये सज़ा देना Share on: