उसी दिन से मुझे दोनों की बर्बादी का ख़तरा था By Sher << न करो अब निबाह की बातें दिल में ख़ाक उड़ती है कहन... >> उसी दिन से मुझे दोनों की बर्बादी का ख़तरा था मुकम्मल हो चुके थे जिस घड़ी अर्ज़-ओ-समा बन कर Share on: