उसी को हश्र कहते हैं जहाँ दुनिया हो फ़रियादी By Sher << वही हिकायत-ए-दिल थी वही श... उदासी अब किसी का रंग जमने... >> उसी को हश्र कहते हैं जहाँ दुनिया हो फ़रियादी यही ऐ मीर-ए-दीवान-ए-जज़ा क्या तेरी महफ़िल है Share on: