उतर के शाख़ से इक एक ज़र्द पत्ते ने By Sher << वहशतें इश्क़ और मजबूरी तिरा बख़्शा हुआ इक ज़ख़्म... >> उतर के शाख़ से इक एक ज़र्द पत्ते ने नई रुतों के लिए रास्ता बनाया था Share on: