उठा तू जा भी चुका था अजीब मेहमाँ था By Sher << रात का इंतिज़ार कौन करे रहा है तू मिरे पहलू में इ... >> उठा तू जा भी चुका था अजीब मेहमाँ था सदाएँ दे के मुझे नींद से जगा भी गया Share on: