उट्ठी है चश्म-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना बज़्म पर By Sher << ये फूल मुझे कोई विरासत मे... तेरी बातों से आज तो वाइज़ >> उट्ठी है चश्म-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना बज़्म पर ये वक़्त वो नहीं कि हलाल-ओ-हराम देख Share on: