उट्ठो मिरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो By Sher << अब चमन में भी किसी सूरत स... तुर्कों का जिस ने दामन ही... >> उट्ठो मिरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो काख़-ए-उमारा के दर-ओ-दीवार हिला दो Share on: