वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी By Sher << कटते किसी तरह से नहीं हाए... तिरी चाहत के भीगे जंगलों ... >> वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी Share on: