वही इक मौसम-ए-सफ़्फ़ाक था अंदर भी बाहर भी By Sher << क्या दुआ रोज़-ए-हश्र की म... उन आँखों में कूदने वालो त... >> वही इक मौसम-ए-सफ़्फ़ाक था अंदर भी बाहर भी अजब साज़िश लहू की थी अजब फ़ित्ना हवा का था Share on: