वही क़ातिल वही मुंसिफ़ अदालत उस की वो शाहिद By Sher << हम बड़े अहल-ए-ख़िरद बनते ... गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से ज... >> वही क़ातिल वही मुंसिफ़ अदालत उस की वो शाहिद बहुत से फ़ैसलों में अब तरफ़-दारी भी होती है Share on: