वही मंज़िलें वही दश्त ओ दर तिरे दिल-ज़दों के हैं राहबर By Sher << ये क़दम क़दम बलाएँ ये सवा... ये भी तो जब्र-ए-वक़्त है ... >> वही मंज़िलें वही दश्त ओ दर तिरे दिल-ज़दों के हैं राहबर वही आरज़ू वही जुस्तुजू वही राह-ए-पुर-ख़तर-ए-जुनूँ Share on: