वक़्त फ़ुर्सत दे तो मिल बैठें कहीं बाहम दो दम By Sher << जब इस में ख़ूँ रहा न तो य... नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए... >> वक़्त फ़ुर्सत दे तो मिल बैठें कहीं बाहम दो दम एक मुद्दत से दिलों में हसरत-ए-तरफ़ैन है Share on: