वक़्त-ए-रुख़्सत निशानी जो तलब की तो कहा By जुदाई, Sher << वक़्त-ए-रुख़्सत तिरी आँखो... वक़्त-ए-रुख़्सत जो मुझे प... >> वक़्त-ए-रुख़्सत निशानी जो तलब की तो कहा दाग़ काफ़ी है जुदाई का अगर याद रहे Share on: