वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता By Sher << वक़्त के साथ 'सदा'... उन्हें न तोलिये तहज़ीब के... >> वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता दर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले Share on: