वक़्त की सई-ए-मुसलसल कारगर होती गई By Sher << एक ही मिट्टी से हम दोनों ... यूँ दिखाता है आँखें हमें ... >> वक़्त की सई-ए-मुसलसल कारगर होती गई ज़िंदगी लहज़ा-ब-लहज़ा मुख़्तसर होती गई Share on: