वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को By Sher << वो हँसते खेलते इक लफ़्ज़ ... क़ाफ़िला जाता है साग़र की... >> वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को ये उस का करम है कि तुझे याद रहा मैं Share on: