वस्ल की अर्ज़ का जब वक़्त कभी पाता हूँ By Sher << यारो हमारा हाल सजन सीं बय... उस वक़्त जान प्यारे हम पा... >> वस्ल की अर्ज़ का जब वक़्त कभी पाता हूँ जा हैं ख़ामोशी सीं तब लब मिरे आपस में मिल Share on: