वीरान तो नहीं शब-ए-तारीक की फ़ज़ा By Sher << फड़कूँ तो सर फटे है न फड़... की उस ने गर्म सीना-ए-अहल-... >> वीरान तो नहीं शब-ए-तारीक की फ़ज़ा हर-सू हवा-ए-बादा से कुछ रौशनी तो है Share on: