वो आ रहे हैं सँभल सँभल कर नज़ारा बे-ख़ुद फ़ज़ा जवाँ है By Sher << दर-ओ-दीवार-ए-चमन आज हैं ख... कर क़त्ल मुझे उन ने आलम म... >> वो आ रहे हैं सँभल सँभल कर नज़ारा बे-ख़ुद फ़ज़ा जवाँ है झुकी झुकी हैं नशीली आँखें रुका रुका दौर-ए-आसमाँ है Share on: