वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़ By Sher << वक़्त की गर्दिशों का ग़म ... ख़ुदा अलीम है हर शख़्स की... >> वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़ पानी है गिर्द-ए-अंजुमन और अंजुमन में आग Share on: