वो भी धरती पे उतारी हुई मख़्लूक़ ही है By Sher << असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब ... न तसल्ली न तशफ़्फ़ी न दिल... >> वो भी धरती पे उतारी हुई मख़्लूक़ ही है जिस का काटा हुआ इंसान न पानी माँगे Share on: