वो दिन गुज़रे कि जब ये ज़िंदगानी इक कहानी थी By Sher << उम्र का एक और साल गया राज़ी हैं हम कि दोस्त से ... >> वो दिन गुज़रे कि जब ये ज़िंदगानी इक कहानी थी मुझे अब हर कहानी ज़िंदगी मालूम होती है Share on: